जीवन में ग़म हो या ख़ुशी का इज़हार करना हो, आँसू सभी कलाओं में निपुण है। इन्हीं आँसुओं की प्रशंसा – ग़मों को समझने की कला मुझे भी सिखा दो...
जीवन में ग़म हो या ख़ुशी का इज़हार करना हो, आँसू सभी कलाओं में निपुण है।
इन्हीं आँसुओं की प्रशंसा –
ग़मों को समझने की कला मुझे भी सिखा दो आँसुओं
जब भी ज़रा-सा ग़म होता है
एक नया रास्ता खोज तुम बाहर आ जाते हो
दिल हल्का करके ग़मों को दूर भगाते हो
ये कला मुझे भी सिखा दो आँसुओं...
अपनापन बिखेर कर, दिल के बाग़ीचे में ख़ुशबू महकाते हो
काँटे होने पर भी फूलों का एहसास दिलाते हो
ये कला मुझे भी सिखा दो आँसुओं...
शांत बैठा हो अगर कोई पलभर में उसे रुलाते हो
ख़ुशी हो या ग़म हर पल साथ निभाते हो
ये कला मुझे भी सिखा दो आँसुओं...
यार तुम्हारे जैसा मिलेगा कहाँ, मिल गया तो रहेगा कहाँ
तुम तो बस आँखों में हर पल समाये रहते हो
अकेले हों जब हम जितने भी अपना-सा एहसास दिलाते हो
ये कला मुझे भी सिखा दो आँसुओं...
Penned by: Pooja Prajapati
Penned: 16/04/2004
[Written after 12th and said on stage first time in IT College on 22/07/05]
इन्हीं आँसुओं की प्रशंसा –
ग़मों को समझने की कला मुझे भी सिखा दो आँसुओं
जब भी ज़रा-सा ग़म होता है
एक नया रास्ता खोज तुम बाहर आ जाते हो
दिल हल्का करके ग़मों को दूर भगाते हो
ये कला मुझे भी सिखा दो आँसुओं...
अपनापन बिखेर कर, दिल के बाग़ीचे में ख़ुशबू महकाते हो
काँटे होने पर भी फूलों का एहसास दिलाते हो
ये कला मुझे भी सिखा दो आँसुओं...
शांत बैठा हो अगर कोई पलभर में उसे रुलाते हो
ख़ुशी हो या ग़म हर पल साथ निभाते हो
ये कला मुझे भी सिखा दो आँसुओं...
यार तुम्हारे जैसा मिलेगा कहाँ, मिल गया तो रहेगा कहाँ
तुम तो बस आँखों में हर पल समाये रहते हो
अकेले हों जब हम जितने भी अपना-सा एहसास दिलाते हो
ये कला मुझे भी सिखा दो आँसुओं...
Penned by: Pooja Prajapati
Penned: 16/04/2004
[Written after 12th and said on stage first time in IT College on 22/07/05]