मन कहता है कि शायद कहीं से कोई आवाज़ आये अपनापन हो जिसमें ऐसी कोई पुकार आये सुनके जिसे ज़िंदगी के सारे ग़म दूर हो जायें सुनके जिसे आँखें नम...
मन कहता है कि शायद कहीं से कोई आवाज़ आये
अपनापन हो जिसमें ऐसी कोई पुकार आये
सुनके जिसे ज़िंदगी के सारे ग़म दूर हो जायें
सुनके जिसे आँखें नम हो जायें
ऐसी कोई अपनी-सी आवाज़ आये
भीड़ में जो अकेलापन दूर कर सके
कुछ कह सके और बहुत कुछ सुन सके
ऐसी कोई अपनी-सी आवाज़ आये
मेरे दिल की आवाज़ को
दूसरों के दिल की आवाज़ से मिलाये
अपनापन बतलाए
ऐसी कोई अपनी-सी आवाज़ आये
कान जिसे प्रेम-से ध्यान-से सुनना चाहे
सुनके उस प्यारे गीत को उसके और क़रीब आये
थोड़ा-सा बुदबुदाये
ऐसी कोई अपनी-सी आवाज़ आये
Penned by: Pooja Prajapati
Penned: 13/04/2004
[Written after admission in 12th]