जितना ख़्याल तुम रखती थी शायद ही कोई रख सके पर अब ख़्याल करने की वजह ही नहीं रह सकी वो साथ वो बात ही अब नहीं रह सकी खो गया मिट गया सब कुछ...
जितना ख़्याल तुम रखती थी
शायद ही कोई रख सके
पर अब ख़्याल करने की वजह ही नहीं रह सकी
वो साथ वो बात ही अब नहीं रह सकी
खो गया मिट गया सब कुछ अंजानी हो गयी सारी ज़रूरतें
तुम गयी सब कुछ अपने साथ लिये चली गयी
छोड़ जाती थोड़ी-सी यादें तो उनके सहारे जी लेती
अब जब आना बहुत सारी यादें अपने संग लाना
यादें ऐसी कि जो उम्रभर याद रह सकें
कोशिश करना कि तुम फिर कभी मत जाना
मुमकिन न हो तो उसे मुमकिन बनाना
अब ख़्याल करने की वजह ही नहीं रही
Penned by: Pooja Prajapati
Penned: 15/04/2004
[Written for my friends after admission in 12th]